Clarification regarding payment of Transport Allowance
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Clarification regarding payment of Transport Allowance
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उत्तर प्रदेश के राज्य कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की खबर है। अब उन्हें निजी अस्पताल में इलाज कराने का खर्च फिर मिलने लगेगा। सुप्रीम कोर्ट ने निजी अस्पताल में इलाज कराने का खर्च देने पर रोक लगाने का हाईकोर्ट का आदेश बदल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई निजी अस्पताल में इलाज कराता है तो राज्य सरकार नियमों के मुताबिक उसका खर्च यानी क्षतिपूर्ति दे सकती है। उत्तर प्रदेश में पिछले करीब एक वर्ष से हाईकोर्ट के आदेश के कारण राज्य कर्मचारियों को निजी अस्पताल में कराए गए इलाज का खर्च नहीं मिल रहा था। जिसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।
शुक्रवार को न्यायमूर्ति एसए बोबडे और दीपक गुप्ता की पीठ ने राज्य सरकार की अर्जी पर सुनवाई करने के बाद ये आदेश दिये। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाज में लापरवाही पर मुआवजा मांगने वाली एक याचिका को जनहित याचिका मे तब्दील करते हुए गत वर्ष 9 मार्च 2018 को कई दिशा निर्देश दिये थे जिसमे से एक आदेश निजी अस्पतालों मे इलाज कराने वाले सरकारी कर्मचारियों को सरकार की ओर से खर्च का भुगतान करने पर रोक लगाने का भी था। प्रदेश सरकार ने इस पूरे आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसके अलावा राज्य सरकार ने विशेष कर निजी अस्पतालों में कराए गए इलाज का खर्च देने पर रोक लगाने का आदेश रोकने की मांग वाली अलग से एक अर्जी भी दाखिल की थी।
शुक्रवार को प्रदेश की ओर पेश एएसजी एएनएस नंदकरणी, पीएन मिश्रा अंकुर प्रकाश ने इलाज खर्च देने पर रोक का आदेश स्थगित करने का अनुरोध करते हुए कोर्ट से कहा कि इसके कारण बहुत सारे कर्मचारी परेशान हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई बार सरकारी अस्पताल में इलाज उपलब्ध नहीं होते और कर्मचारियों को निजी अस्पतालों मे इलाज कराना पड़ता है।
राज्य की दलील थी कि पहले भी राज्य सरकार निजी अस्पताल में इलाज का आने वाला पूरा खर्च नहीं देती थी बल्कि पीजीआइ या एम्स जैसे अस्पतालों में आने वाले खर्च के हिसाब से पैसे का भुगतान करती थी यही सरकार का नियम है लेकिन इससे भी कर्मचारियों को कुछ राहत मिल जाती थी। सरकार कहना था कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद से निजी अस्पतालों में इलाज के बहुत सारे कर्मचारियों के बिल सरकार के पास आए हैं और सरकार उनका भुगतान नहीं कर पा रही है। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट के आदेश में बदलाव करते हुए कहा कि राज्य सरकार चाहे तो निजी अस्पताल में कराए गए इलाज का नियमों के मुताबिक खर्च भुगतान कर सकती है।
हाईकोर्ट ने अपने उस आदेश में इलाज मे वीआइपी कल्चर पर तीखी टिप्पणियां करते हुए कहा था कि जो भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी सरकारी अस्पताल मे इलाज के लिए जाएगा वहां रोस्टर के मुताबिक ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर उसका इलाज करेगा। वीआइपी कल्चर नहीं चलेगी। हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि अगर सरकारी कर्मचारी निजी अस्पताल में इलाज कराता है तो सरकार उसका खर्च नहीं देगी। हालांकि थोड़ी छूट देते हुए हाईकोर्ट ने आदेश में कहा था कि अगर किसी बीमारी का इलाज सरकारी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है निजी अस्पताल में इलाज कराना जरूरी है तो विशेष स्थितियों में इससे छूट दी जा सकती है लेकिन आम आदमी के साथ भी ऐसा ही होने पर उसका खर्च भी सरकार उठाएगी।
Source – Jagran
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