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नोटबंदी के बाद एक बार फिर एटीएम (ATM) और बैंकों में कैश का संकट गहरा गया है। एटीएम में कैश की किल्लत को लेकर कई कारण सामने आ रहे हैं। बढ़ते एनपीए ने बैंकों की साख को हिला दिया है। इन्हें उबारने के लिए खातों में जमा रकम के इस्तेमाल की अटकलों ने ग्राहकों को डरा दिया है। पैसा निकालने की प्रवृत्ति एकाएक बढ़ गई है और 60 फीसदी एटीएम पर लोड चार गुना तक बढ़ गया है। इसके अलावा दो हजार के नोटों की बंद छपाई और 200 के नोटों के लिए एटीएम का कैलीब्रेट न होना भी बड़ी समस्या बन गया है।
बैंकों को घाटे से उबारने के लिए सरकार ने फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस (एफआरडीआई) बिल पेश किया था। इसे संसद पटल पर लाने की तैयारी कर ली गई थी हालांकि बाद में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इस बिल में प्रावधान है कि अगर कोई बैंक किसी कारणवश वित्तीय संकट में फंस जाता है तो जमाकर्ताओं के पैसे से उसे उबारा जाएगा।
बिल के अनुसार जमाकर्ताओं की एक लाख रुपए तक जमाराशि को छेड़ा नहीं जाएगा लेकिन बाकी रकम का इस्तेमाल बैंक के पुनरुद्धार में किया जाएगा। इससे लोगों में घबराहट फैल गई और एटीएम (ATM) से ज्यादा कैश निकालना शुरू कर दिया। पीएनबी सहित कई बैंकों के घोटाले खुलने के बाद इस बात का खतरा बढ़ गया कि कई बैंक वित्तीय संकट में फंस सकते हैं। ऐसे में ग्राहक पहले की तुलना में एटीएम में ज्यादा निकाल रहे हैं और इससे एटीएम जल्द खाली हो रहे हैं।
दो हजार के नोटों की छपाई बंद करने से संकट गहराया
पिछले साल मई में दो हजार के नोटों को छापना बंद कर दिया गया था। इसकी जगह पांच सौ और दो सौ रुपए के नोटों को लाया गया। दो हजार के नोट कम होने से एटीएम में डाले जा रहे नोटों की वैल्यू कम हो रही है। एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अगर दो हजार के नोटों से एटीएम (ATM) को भरा जाए तो 60 लाख रुपए तक आ जाते हैं।
पांच सौ और सौ के नोटों से ये क्षमता महज 15 से 20 लाख रुपए रह गई है इसलिए एटीएम जल्दी खाली हो रहे हैं। अभी तक महज तीस फीसदी एटीएम ही 200 रुपए को लेकर कैलीब्रेट हो सके हैं। यानी 70 फीसदी एटीएम 200 का नोट उगलने में सक्षम ही नहीं हैं। इतना ही नहीं आरबीआई की रैंडम जांच में पाया गया है कि करीब 30 फीसदी एटीएम औसतन हर समय खराब रहते हैं। ऐसे में जो एटीएम (ATM) काम कर रहे हैं, उनमें लोड स्वत: बढ़ गया है।
नोटबंदी के बाद एक भी नया एटीएम नहीं
नोटबंदी, जीएसटी और डिजिटल ने पूरे बैंकिंग सेक्टर की सूरत बदल दी है। बैंकों पर एटीएम का रखरखाव भारी पड़ रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीएस जयकुमार के मुताबिक नोटबंदी के बाद एटीएम नहीं बढ़ाए गए हैं। इसके उलट बैंक अपने एटीएम घटा रहे हैं। एटीएम चलाने के लिए कम से कम 200 हिट्स रोज चाहिए लेकिन केवल 89-90 हिट ही एक एटीएम को मिल रहे हैं। इस वजह से एक एटीएम पर खर्च का औसत बढ़ता जा रहा है। दिल्ली-मुम्बई शहरों में एक एटीएम पर मासिक खर्च एक लाख रुपए से ऊपर निकल गया है।
कालाधन के रूप में जमा हो रहा कैश
दो हजार के नोटों का बड़ा संकट इसके संग्रह से भी खड़ा हो गया है। आरबीआई ने अभी तक दो हजार के जितने नोट जारी किए हैं, उनमें तीस फीसदी बाजार या बैंक में लौटकर नहीं आए हैं। साफ है कि ये नोट तिजोरी या कहीं और रखे जा रहे हैं। एक तो नोटों की छपाई बंद होने और मौजूदा करंसी में से दो हजार के नोटों के कालेधन के रूप में जमा होने से समस्या गंभीर हो गई है।
कैश संकट के प्रमुख कारण
-फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल पास होने का डर
– बिल में केवल एक लाख छोड़कर पूरा पैसा लेने का प्रावधान
– बैंकों में लगातार बढ़ रहे एनपीए की वजह से ग्राहकों में घबराहट
– ग्राहकों के पैसों से बैंकों की सेहत सुधारने का बिल में प्रावधान
-एटीएम और बैंकों से ज्यादा से ज्यादा पैसा निकालने की होड़
-200 के नोट को लेकर 70 फीसदी एटीएम कैलीब्रेट नहीं
-एक साल से 2000 के नोटों का छपना करीब-करीब बंद
-मार्केट में मौजूद दो हजार के नोटों का कालाधन के रूप में संग्रह
Source: lh
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